जब जयचंद गद्दार, तो राणा सांगा कैसे नहीं?

इतिहास में किसी को भी गद्दार साबित करना आसान है, लेकिन उसके समर्थन में तर्क और प्रमाण होना आवश्यक है। जयचंद को आज भी “गद्दार” कहा जाता है, जबकि उसके और मोहम्मद गोरी के बीच कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। इसके विपरीत, राणा सांगा और बाबर के बीच के संबंध के पुख्ता ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद हैं। यदि जयचंद को देशद्रोही मान लिया गया, तो फिर राणा सांगा को कैसे वीर योद्धा माना जा सकता है? आइए, इस विषय को तर्कों के साथ समझते हैं।
1. जयचंद और गोरी: क्या गद्दारी का कोई प्रमाण है?
जयचंद को इस आधार पर “गद्दार” कहा जाता है कि उसने 1192 में मोहम्मद गोरी को पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ आमंत्रित किया। लेकिन क्या यह सच में हुआ था?
- कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं:
पृथ्वीराज रासो और कुछ अन्य ग्रंथों में यह कथा जरूर मिलती है, लेकिन कोई ठोस फारसी, तुर्की, या भारतीय ऐतिहासिक स्रोत इस बात की पुष्टि नहीं करते कि जयचंद ने गोरी को बुलाया था। - गोरी ने जयचंद पर भी हमला किया था:
अगर जयचंद गोरी का मित्र था, तो गोरी ने 1194 में कन्नौज पर हमला क्यों किया और जयचंद को मारकर उसकी राजधानी लूट ली? क्या कोई गद्दार अपने ही “मित्र” के हाथों मारा जाता है? - राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को गद्दारी कहना गलत:
पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के बीच सत्ता संघर्ष था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जयचंद ने विदेशी आक्रमणकारी को निमंत्रण दिया।
2. राणा सांगा और बाबर: ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ गद्दारी
इसके विपरीत, राणा सांगा और बाबर के बीच संबंधों के स्पष्ट प्रमाण मौजूद हैं।
- बाबर को भारत बुलाने का ऐतिहासिक साक्ष्य:
बाबर अपनी आत्मकथा “बाबरनामा” में लिखता है कि राणा सांगा ने उसे भारत पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था। - राणा सांगा की गलत गणना:
राणा सांगा को लगा कि बाबर इब्राहिम लोदी को हरा देगा और फिर दिल्ली छोड़कर वापस चला जाएगा। लेकिन बाबर ने भारत को अपना घर बना लिया। - बाबर का स्पष्ट बयान:
बाबर स्वयं लिखता है कि उसने भारत पर आक्रमण का मन राणा सांगा और दौलत खां लोदी के बुलावे के बाद बनाया। इसका मतलब है कि अगर राणा सांगा नहीं होते, तो भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना नहीं होती।
3. तर्क की कसौटी पर राणा सांगा की गद्दारी
- अगर जयचंद ने गोरी को बुलाया होता, तो उसके पास सत्ता का कोई लालच नहीं था।
लेकिन राणा सांगा ने बाबर को बुलाकर दिल्ली पर खुद शासन करने का सपना देखा। - जयचंद को तो गोरी ने भी नहीं बख्शा, लेकिन राणा सांगा खुद बाबर से धोखा खा गए।
क्या यह वीरता थी या मूर्खता? - जयचंद को बाद में कोई फायदा नहीं हुआ, लेकिन राणा सांगा की रणनीति ने मुगलों को भारत में जमने का रास्ता दिखा दिया।
4. इतिहास का अन्याय: किसे गद्दार कहा गया और किसे वीर?
इतिहास ने जयचंद को “गद्दार” और राणा सांगा को “वीर” बना दिया। यह ऐतिहासिक अन्याय क्यों?
- जयचंद के खिलाफ कोई ठोस प्रमाण नहीं, फिर भी गद्दार माना गया।
- राणा सांगा के खिलाफ प्रमाण मौजूद, फिर भी उन्हें वीर कहा गया।
- अगर जयचंद गद्दार था, तो राणा सांगा उससे भी बड़ा गद्दार क्यों नहीं?
निष्कर्ष: राणा सांगा—एक अविवेकी रणनीतिकार
राणा सांगा की वीरता पर कोई संदेह नहीं, लेकिन उनकी राजनीतिक समझ पर जरूर सवाल उठता है।
- बाबर को भारत बुलाकर उन्होंने सबसे बड़ी भूल की।
- उन्होंने सोचा कि बाबर उनका मित्र बनेगा, लेकिन बाबर ने भारत को अपना स्थायी निवास बना लिया।
- अगर जयचंद गद्दार था, तो राणा सांगा उससे कहीं बड़ा गद्दार था, क्योंकि उसके खिलाफ ऐतिहासिक प्रमाण भी मौजूद हैं।
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