जब ‘देशभक्त’ संघी ISI की स्क्रिप्ट पढ़ते हैं!

लेखक: एडवोकेट अमरेष यादव
भारत में एक नया चलन चल पड़ा है। जैसे ही कोई नागरिक सरकार की आलोचना करता है, उसे पाकिस्तान परस्त, देशद्रोही, या इस्लामिक माइंडसेट वाला घोषित कर दिया जाता है। लेकिन जरा ठहरिए और सोचिए — क्या ये सब कुछ स्वतःस्फूर्त है? या फिर यह एक सुनियोजित स्क्रिप्ट है जो कहीं और से संचालित हो रही है? अगर आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि यह पूरी रणनीति हूबहू वही है जो ISI और पाकिस्तान भारत में वर्षों से फैलाना चाहते हैं: भारत के भीतर धार्मिक ध्रुवीकरण, मुसलमानों को देशद्रोही बताना, समाज को हिन्दू-मुस्लिम खेमों में बाँटना, और संविधान को कमजोर करना।
और यह काम, दुखद रूप से, सबसे ईमानदारी से कौन कर रहा है? वही जो खुद को ‘देशभक्त’ कहते हैं — संघी मानसिकता वाले लोग।
1. धार्मिक ध्रुवीकरण: ISI का सपना, संघ का मिशन
ISI हमेशा से चाहता रहा है कि भारत के मुसलमानों और हिंदुओं के बीच वैमनस्य हो। लेकिन सीमापार से भेजे गए कट्टरपंथी इससे कुछ खास नहीं कर पाए। फिर आए ‘घरेलू राष्ट्रवादी’ — जिनके बयान, उनके टीवी डिबेट्स, उनके सोशल मीडिया पोस्ट एक ही दिशा में काम करने लगे:
- “मुसलमान कभी वफादार नहीं हो सकता।”
- “जो भारत में रहेगा, उसे जय श्री राम कहना होगा।”
- “हिंदू खतरे में हैं।”
यह रhetoric ISI के उन pamphlets से मेल खाता है जो 90s में कश्मीर में फेंके जाते थे — फर्क बस इतना है कि अब ये ज़हर हिंदी चैनलों के प्राइम टाइम पर बोला जाता है।
2. देशभक्ति का ठेका: सवाल पूछने वाला देशद्रोही?
सवाल पूछना लोकतंत्र का मूल है। लेकिन आज की तारीख़ में अगर कोई नागरिक पूछे:
- बेरोज़गारी क्यों बढ़ रही है?
- महंगाई क्यों बेलगाम है?
- सेना का राजनीतिकरण क्यों हो रहा है?
तो उसका जवाब होता है: “तुम पाकिस्तान चले जाओ!” — और यह बयानबाज़ी कोई troll army नहीं, खुद सांसद, मंत्री, और संघी विचारधारा के प्रचारक करते हैं।
क्या यह वही ISI की रणनीति नहीं है? विरोध की आवाज़ को देशद्रोह में तब्दील कर देना?
3. संविधान से नफ़रत = भारत से नफ़रत
संविधान भारत की आत्मा है। लेकिन यह संघ और उससे जुड़ी शाखाओं के लिए एक ‘विदेशी दस्तावेज़’ है। गोलवलकर, सावरकर और देवरस जैसे विचारकों के लेख आज भी संघ के स्कूलों और शाखाओं में पढ़ाए जाते हैं जिसमें मुसलमानों को ‘आक्रांता’ और संविधान को ‘कृत्रिम रचना’ बताया गया है।
क्या ISI को इससे बेहतर तोहफ़ा चाहिए?
4. सोशल मीडिया वॉर रूम्स = ISI स्टाइल प्रोपेगेंडा फैक्ट्री
जो काम ISI पाकिस्तान में करता है — यूट्यूब चैनलों से झूठ फैलाना, भारत विरोधी नैरेटिव बनाना — वही काम भारत में ‘देशभक्ति’ के नाम पर किए जा रहे हैं:
- edited वीडियो वायरल करना,
- मुस्लिम नाम वाले लोगों की lynching को glorify करना,
- विपक्षी नेताओं को ‘गद्दार’ साबित करना।
ऐसे कई चैनलों के लिंक अब पाकिस्तान तक ट्रेस हो रहे हैं, लेकिन इन्हें भारत में फैलाने वाले कौन हैं? संघी IT सेल्स।
निष्कर्ष: ISI के सबसे वफादार सिपाही वही हैं जो ‘राष्ट्रवाद’ का नारा लगाते हैं
देश को कमजोर करने के दो ही रास्ते होते हैं:
- बाहरी हमला — जिसमें भारत कभी नहीं हारा।
- भीतरी विभाजन — जिसमें भारत को सबसे ज़्यादा चोट लगी है।
आज भारत को सबसे बड़ा खतरा चीन, पाकिस्तान या ISI से नहीं है — बल्कि उन लोगों से है जो भारत के संविधान, उसकी विविधता, और लोकतांत्रिक संस्कृति को ही ‘पाकिस्तान परस्ती’ कहने लगे हैं।
ये वही लोग हैं जो ISI की स्क्रिप्ट को पढ़ रहे हैं — वो भी बिना शर्म के, राष्ट्रध्वज ओढ़कर।
स्लोगन:
“संविधान से नफरत करने वाला कोई भी व्यक्ति, चाहे वह भगवा लपेटे हो या हरा — देशद्रोही है।”
हैशटैग्स:
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