अगर हिन्दू महासभा का प्रधानमंत्री होता तो…?
✍️ एडवोकेट अमरेष यादव

भारत को आज़ाद हुए 75 साल हो गए, लेकिन वास्तविक नेतृत्व का इंतज़ार अभी भी जारी है।
देश ने बहुत कुछ देखा — कांग्रेस का “चाचा मॉडल”, संघ का “झुककर चलो मॉडल”,
पर अगर देश को कभी वो “धर्मवीर नेतृत्व” मिला होता जो हिन्दू महासभा जैसी विचारधारा से आता —
तो यकीन मानिए, आज भारत G20 की मेज़बानी नहीं, बल्कि POK और कराची की नागरिकता योजना लागू कर चुका होता।
1. 1971: अगर युद्ध जीता तो बांग्लादेश क्यों छोड़ा?
श्रीमती गांधी ने युद्ध जीता — सेना ने 90,000 पाक सैनिक पकड़ लिए।
पर क्या मिला?
ढाका में तिरंगा लहराया, और फिर चुपचाप वापिस आ गए!
अगर हिन्दू महासभा का नेता प्रधानमंत्री होता —
- तो बांग्लादेश नाम का देश बनता ही नहीं,
- पूरे पूर्वी पाकिस्तान को भारत में मिला दिया जाता,
- ढाका आज बंग प्रांत की राजधानी होता, और
- 1971 की जीत “अखंड भारत निर्माण” की पहली ईंट होती।
2. पाकिस्तान का नक्शा बदल चुका होता
आज पाकिस्तान हमारी सीमा पर गोलीबारी करता है, आतंकियों को भेजता है, और हम…?
बस “कड़ी निंदा”।
“सर्जिकल स्ट्राइक” की क्लिप चलाकर TRP कमाते हैं।
हिन्दू महासभा का प्रधानमंत्री होता तो…
- सर्जिकल स्ट्राइक फोटोशूट नहीं, लाहौर तक फुलफायर होता,
- POK, गिलगित, बलूचिस्तान — सब पर तिरंगा होता,
- और पाकिस्तान का नाम सिर्फ इतिहास की किताबों में मिलता।
3. अमेरिका के सामने नहीं झुकते, आंख में आंख डालते
आज अमेरिका या कोई वाइट हाउस नेता सीजफायर करवा देता है।
भारत, 1971 के शिमला समझौते की धज्जियां उड़ाते हुए “तीसरे पक्ष की मध्यस्थता” में झुक जाता है।
अगर हिन्दू महासभा का प्रधानमंत्री होता —
- तो ट्रंप की हिम्मत नहीं होती “भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता” की बात करने की,
- और अगर करता तो उसका जवाब सीधा “हमारे घरेलू मामलों में दखल बंद करो” होता,
- “गुटनिरपेक्ष नीति” की चूड़ी फेंककर भारत अपनी स्पष्ट युद्ध नीति घोषित करता।
4. आंतरिक सुरक्षा: तुष्टीकरण खत्म, आतंक का सफाया
आज तक “आतंकी पकड़ा गया” की खबरें आती हैं, पर सवाल ये है —
वो आया ही क्यों?
हिन्दू महासभा का नेतृत्व होता तो…
- सीमाओं पर सिर्फ बाड़ नहीं, ‘रक्त रेखा’ होती,
- कश्मीर में हर आतंकी का समर्थन करने वाला नेता जेल में होता,
- और रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठियों को एक हफ्ते में खदेड़ दिया जाता।
5. संसद और सीमा: सिर्फ किसान का बेटा ही संभाल सकता है
आज के प्रधानमंत्री चाय बेचने की मार्केटिंग से सत्ता में आए।
पर युद्ध, भूगोल और भूराजनीति “धनिया पत्ती” बेचने से नहीं चलती।
वो नेतृत्व चाहिए जो धूप में हल जोता हो, गोला-बारूद की गंध पहचानता हो, और सत्ता को धर्म समझता हो।
हिन्दू महासभा का प्रधानमंत्री होता…
- तो संसद में भी किसान की जुबान होती और
- सरहद पर भी दुश्मन की ज़ुबान बंद होती।
निष्कर्ष: देश को “डीलर” नहीं, “लीडर” चाहिए
कैमरे, जुमले, फोटोशूट और रंगीन जैकेट पहनकर कोई चाणक्य नहीं बनता।
देश को चाहिए ऐसा प्रधानमंत्री —
- जो सत्ता को सेवा माने,
- भारत की सीमाओं को मां माने,
- और हिन्दू विचार को रणनीति बनाकर थोपे नहीं, लागू कर दे।
अगर हिन्दू महासभा का नेतृत्व इस देश को मिला होता — तो आज भारत केवल भूगोल से नहीं, नीति और संस्कृति से भी “अखंड” होता।
✍️ राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से,
Advocate Amaresh Yadav
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