भारत-पाक संघर्ष 2025: बिना तैयारी की जंग और उसकी क़ड़वी सीख

✍️ अधिवक्ता अमरेष यादव


प्रस्तावना: जब कूटनीति विफल हो, तो बंदूकें भी अकेली पड़ जाती हैं

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष (2025) एक असामयिक, अपरिपक्व और रणनीतिक दृष्टिकोण से दोषपूर्ण सैन्य निर्णय की गवाही देता है। इस युद्ध की सबसे बड़ी त्रासदी यही रही कि यह एक ऐसे समय शुरू किया गया, जब भारत राजनयिक रूप से अलग-थलग था और मिलिट्री प्रिपरेशन आधी-अधूरी थी।

वास्तव में, यह युद्ध कम और राजनीतिक प्रतिक्रिया अधिक था — जिसे जल्दबाज़ी में शुरू किया गया और उतनी ही जल्दबाज़ी में बंद भी कर दिया गया।


1. अंतरराष्ट्रीय समर्थन की अनुपस्थिति: रणनीति नहीं, सनक का संकेत

21वीं सदी के किसी भी युद्ध में डिप्लोमेसी फ्रंटलाइन बन चुकी है। जब तक आपके पास मजबूत स्ट्रेटेजिक पार्टनर नहीं हैं, आप टैक्टिकल अडवांटेज लेकर भी राजनीतिक हार झेल सकते हैं।

  • अमेरिका ने इस बार भी मध्यस्थ की भूमिका निभाई — शिमला समझौते के विपरीत।
  • रूस, फ्रांस, यहां तक कि अफ्रीकी ब्लॉक तक भारत के पक्ष में मुखर नहीं हुआ।
  • इससे स्पष्ट है कि भारत ने अपने पारंपरिक और संभावित सहयोगियों से रणनीतिक संवाद खो दिया है।

2. हमलावर मुद्रा में जाकर रक्षात्मक लौटना: सैन्य मनोबल की क्षति

युद्ध हमने शुरू किया — बिना घोषणा, बिना लक्ष्य, बिना स्पष्ट रणनीति। सिर्फ पहले दिन की सफलता को मीडिया में भुनाया गया।

फिर जैसे ही पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय दबाव आया, भारत रक्षात्मक हो गया। यह युद्ध विज्ञान की दृष्टि से गंभीर चूक है: “Initiator को ही Initiative खोने की छूट नहीं होती।” इसने हमारे जवानों और रणनीतिक प्रतिष्ठानों के मनोबल को प्रभावित किया।


3. पाकिस्तान का बढ़ता आत्मविश्वास और भारत की छवि पर आघात

पाकिस्तान ने इस युद्ध को भले ही सामरिक रूप से न जीता हो, लेकिन उसने इसे राजनयिक और मनोवैज्ञानिक विजय में बदल डाला।

  • उसने दुनिया को दिखाया कि भारत ‘गैर-जिम्मेदार परमाणु शक्ति’ की तरह कार्य करता है।
  • वहीं सीजफायर के बाद पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में यह विजय उत्सव के रूप में प्रचारित हुआ।
  • यह भारत के लिए छवि हानि और डिटरेंस कैपेबिलिटी पर सीधा हमला है।

4. युद्ध कोई मीडिया इवेंट नहीं – ये रणनीतिक दृढ़ता की कसौटी है

सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन तभी कारगर होते हैं, जब वे किसी व्यापक रणनीतिक उद्देश्य के तहत हों। लेकिन बार-बार देखी गई है — मोदी सरकार की नीति में एक “फोटो-केंद्रित सैन्य सोच” विकसित हुई है।

इसका परिणाम यह है कि:

  • कार्रवाई होती है,
  • मीडिया हेडलाइन बनती है,
  • लेकिन लक्ष्य प्राप्त नहीं होता।

असली युद्ध तब होता है जब दुश्मन की सैन्य, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक रीढ़ टूट जाए। 2025 के संघर्ष में भारत यह हासिल करने में विफल रहा।


5. युद्ध की शर्तें: जब तक तैयारी पूरी न हो, युद्ध स्थगित रहना चाहिए

एक सैन्य विशेषज्ञ की दृष्टि से, कोई भी राष्ट्र युद्ध की ओर तभी बढ़े जब—

  • उसके पास स्पष्ट Diplomatic Green Lights हों।
  • सैन्य संसाधनों की सप्लाई चेन, लॉजिस्टिक्स और रि-सर्वेस एक्टिवेट हों।
  • मित्र राष्ट्रों से स्पष्ट Security Assurance हो।

2025 का युद्ध इनमें से किसी भी मापदंड पर खरा नहीं उतरता।


6. अब वक्त है भारत की ‘गुट-निरपेक्ष छवि’ को पुनः परिभाषित करने का

गुट-निरपेक्ष नीति ने हमें बीते दशकों में आर्थिक लचीलापन दिया, लेकिन आज यह नीति सुरक्षा मामलों में एक रणनीतिक कमजोरी बन चुकी है।

  • भारत को अमेरिका, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया और इजराइल के साथ स्पष्ट मिलिट्री कोऑपरेशन डील्स की ज़रूरत है।
  • भारत को UN और G20 जैसे मंचों पर सुरक्षा नेतृत्व की पहल करनी होगी।

7. लोकतांत्रिक भारत की सामूहिकता – लेकिन नेता का विवेक ज़रूरी

पाकिस्तान के खिलाफ देश एकजुट था। मुस्लिम नेताओं ने भी इस बार खुलकर पाकिस्तान की आलोचना की। विपक्ष ने सरकार को बिना शर्त समर्थन दिया।

यह भारत की राजनीतिक परिपक्वता और सामाजिक दृढ़ता को दर्शाता है। लेकिन इस विश्वास का जवाब एक शांत, विवेकशील, रणनीति-प्रधान नेतृत्व से आना चाहिए — न कि तात्कालिक उत्तेजना से।


निष्कर्ष: युद्ध अंतिम विकल्प है, लेकिन जब आए तो निर्णायक होना चाहिए

2025 का संघर्ष एक चेतावनी है कि युद्ध से पहले आक्रोश नहीं, तैयारी होनी चाहिए। भारत को अब कूटनीतिक, सैन्य और सामरिक रूप से एक दीर्घकालिक नीति की ओर बढ़ना चाहिए।

और अगली बार — अगर युद्ध अपरिहार्य हो — तो उसकी समाप्ति लाहौर और कराची की सड़कों पर तिरंगा फहराने से होनी चाहिए, न कि व्हाइट हाउस से जारी बयान से।

भारत को अब “मीडिया-केंद्रित सैन्य सोच” से निकलकर “रणनीति-केंद्रित भू-राजनीति” अपनानी होगी। तभी हम एक सच्चे वैश्विक शक्ति बन सकते हैं।

Leave a comment

Design a site like this with WordPress.com
Get started