SCBA का फैसला और CJI की निंदा: न्यायपालिका की जवाबदेही पर हमला या लोकतंत्र की रक्षा?

— Advocate अमरेष यादव

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने जस्टिस बेला एम त्रिवेदी को रिटायरमेंट पर विदाई न देकर एक साहसिक लेकिन ज़रूरी फैसला लिया। इसके बाद माननीय मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने SCBA के इस कदम की “खुले तौर पर निंदा” की।

लेकिन सवाल यह है — क्या SCBA का यह कदम ‘अपमान’ था, जैसा CJI कह रहे हैं? या यह न्यायपालिका की जवाबदेही और पारदर्शिता की कमी पर बार की कड़ी प्रतिक्रिया थी?


न्यायपालिका जवाबदेह हो या खुद को भगवान समझे?

आज की न्याय व्यवस्था में ऐसे फैसले सामने आ रहे हैं, जिनसे न केवल आम जनता का भरोसा डगमगा रहा है, बल्कि वकील समुदाय भी न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है। ऐसे समय में SCBA का चुप रहना न्याय व्यवस्था की कमजोरी साबित होगा।

क्या न्यायपालिका का सम्मान तब तक रहेगा जब तक वह सवालों से बचती रहे? जवाबदेही न्यायपालिका की आत्मा है। जब तक यह आत्मा जिंदा रहेगी, तब तक बार एसोसिएशन को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।


SCBA ने आवाज़ उठाकर न्यायपालिका को जगाया है

SCBA ने जस्टिस बेला त्रिवेदी के फैसलों को लेकर जो असंतोष जताया, वह केवल व्यक्तिगत विरोध नहीं, बल्कि पूरे न्याय तंत्र की स्वच्छता की मांग है। SCBA ने साफ कर दिया है कि वे रस्म-रिवाज की परवाह किए बिना न्यायपालिका के भीतर पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए संघर्ष करेंगे।


CJI की निंदा लोकतंत्र के लिए खतरा है

जब मुख्य न्यायाधीश कहते हैं कि SCBA का कदम अनुचित था, तो वे आलोचना को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। लोकतंत्र में आलोचना स्वस्थ संस्थान की पहचान है, और इसे दबाना लोकतंत्र की हत्या के समान है।

क्या न्यायपालिका इतनी संवेदनशील हो गई है कि सवाल उठाना भी ‘अपमान’ माना जाए?


परंपरा के नाम पर सवाल दबाना न्याय के साथ धोखा है

परंपरा के पीछे छिपकर न्यायपालिका की कमियों को छुपाना और आलोचना को चुप कराना लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है। SCBA ने साफ कर दिया है कि ‘परंपरा’ का इस्तेमाल आलोचना दबाने के लिए नहीं किया जा सकता।


तथ्य क्या कहते हैं?

  • जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच के कई फैसलों ने न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता को प्रभावित किया है।
  • बार एसोसिएशन लंबे समय से न्यायपालिका की जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग करता रहा है।
  • SCBA ने इस कदम से न्यायपालिका में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया।
  • न्यायपालिका का सम्मान तभी टिकेगा जब वह हर फैसले के लिए जवाबदेह होगी।

निष्कर्ष: SCBA ने न्यायपालिका को सच्चाई का आईना दिखाया है

SCBA का यह कदम न केवल साहसिक है, बल्कि लोकतंत्र की जीत भी है। CJI की निंदा उस लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर हमला है जो न्यायपालिका को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है।

अगर आलोचना को ‘अपमान’ कहकर दबाया गया, तो यह न्याय व्यवस्था की आत्महत्या होगी। न्यायपालिका को आलोचना स्वीकार करनी चाहिए, जवाबदेही को अपनाना चाहिए, और जनता के विश्वास को पुनः स्थापित करना चाहिए।

SCBA ने साफ कर दिया है कि न्यायपालिका की गरिमा और जवाबदेही में कोई समझौता नहीं होगा। न्याय के सच्चे प्रहरी कभी पीछे नहीं हटेंगे।


— Advocate अमरेष यादव


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