जब न्यायपालिका की जवाबदेही खतरे में हो: SCBA का जस्टिस बेला त्रिवेदी को फेयरवेल न देने का फैसला क्यों सही था?

— Advocate अमरेष यादव

न्यायपालिका की गरिमा केवल दिखावे की रस्मों और औपचारिकताओं से नहीं बनती। असली गरिमा तब आती है जब न्यायाधीश संविधान और कानून के प्रति निष्ठावान, निष्पक्ष और जवाबदेह हों। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) द्वारा जस्टिस बेला त्रिवेदी को फेयरवेल न देने का जो साहसिक और गंभीर फैसला लिया गया, उसे समझना है तो हमें न्याय के इस मूल तत्व को समझना होगा।

विवादास्पद फैसलों ने तोड़ा वकील समुदाय का भरोसा

जस्टिस बेला त्रिवेदी के न्यायिक फैसले कई बार संवैधानिक मूल्यों से परे, पक्षपाती और न्याय के तटस्थ सिद्धांतों के विरुद्ध पाए गए। उनका कुछ रुख कई वकीलों और न्यायविदों के बीच विवादित रहा, जिससे न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर प्रश्न चिन्ह लगा। जब न्यायिक निर्णय ही न्याय के सिद्धांतों से भटक जाएं, तब वकील समुदाय का न्याय व्यवस्था पर विश्वास कम होना स्वाभाविक है।

SCBA ने अपनी जिम्मेदारी निभाई और अपने सदस्यों की आवाज़ को मजबूती से उठाया। इसने यह स्पष्ट कर दिया कि न्यायपालिका के प्रति सम्मान तभी दिया जाएगा जब न्याय का मानदंड कायम हो, न कि जब किसी न्यायाधीश के पक्षपातपूर्ण या विवादित निर्णयों को नजरअंदाज कर दिया जाए।

जवाबदेही के बिना सम्मान नकली है

न्यायपालिका में जवाबदेही का मतलब है कि हर न्यायाधीश को अपने फैसलों और आचरण के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। अगर कोई न्यायाधीश बार-बार ऐसे फैसले देता है जो न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाते हैं, तो उसे सम्मान देना न्याय के प्रति धोखा होगा। SCBA ने यह दिखाया कि वे न्यायपालिका की गरिमा को लेकर गंभीर हैं, और केवल रस्मों को निभाना ही सम्मान नहीं हो सकता।

वकीलों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति दबाना न्याय व्यवस्था के लिए खतरा

SCBA का यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि वकीलों की स्वतंत्र आवाज़ कितनी महत्वपूर्ण है। न्यायपालिका की शक्ति तभी बनी रहेगी जब उसके समक्ष आलोचना खुले मन से हो सके। अगर वकील समुदाय की नैतिक प्रतिबद्धता और स्वतंत्र अभिव्यक्ति को दबाया जाएगा, तो न्याय की व्यवस्था खतरे में पड़ जाएगी। SCBA ने अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए यह फैसला लिया कि न्यायपालिका के सुधार के लिए सत्य और निष्पक्षता से कभी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।

संस्थागत सुधार और पारदर्शिता की आवश्यकता

यह विवाद न्यायपालिका और बार एसोसिएशन के बीच बेहतर संवाद की जरूरत को रेखांकित करता है। पारदर्शिता, जवाबदेही और सुधार के बिना न्यायपालिका का सम्मान खोखला हो जाएगा। SCBA ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे न्यायपालिका के प्रति सम्मान के साथ-साथ उसकी आलोचना और सुधार के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।


निष्कर्ष

SCBA का जस्टिस बेला त्रिवेदी को फेयरवेल न देने का फैसला न केवल सही था, बल्कि यह न्यायपालिका की गरिमा और जवाबदेही को बचाने का साहसिक कदम भी था। यह फैसला हमें याद दिलाता है कि न्यायपालिका का सम्मान केवल पद और परंपराओं के कारण नहीं, बल्कि निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही के कारण दिया जाता है। यदि हम न्याय व्यवस्था की कमियों को अनदेखा करते रहे, तो हमारा लोकतंत्र ही कमजोर हो जाएगा।

यह वक्त है न्यायपालिका के भीतर व्याप्त पक्षपात और गलत आचरण के खिलाफ आवाज उठाने का, और SCBA ने वह आवाज़ उठाई है। इस निर्णय को एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए कि न्यायपालिका में गरिमा और सम्मान तभी टिकेंगे जब वे खुद अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार और जवाबदेह रहें।


Advocate अमरेष यादव


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