“जब देश की बेटी को गाली देने वाला मंत्री अब भी पद पर बैठा है – तो चुप्पी भी अपराध बन जाती है!”
लेखक: अधिवक्ता अमरेष यादव


“पूरे देश को आप पर शर्म आती है…”
ये शब्द गली-मोहल्ले में किसी नागरिक ने नहीं कहे — ये भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने एक मंत्री से कहे।
नाम है विजय शाह — और उनकी ‘शर्मनाक’ हरकत?
एक महिला फौजी अधिकारी को ‘आतंकवादियों की बहन’ कहना।


बयान नहीं, हमला था ये!

कर्नल सोफिया कुरैशी — UN मिशन में भारत की बटालियन को लीड करने वाली पहली महिला अफसर।
वह कोई सामान्य नागरिक नहीं, सेना की प्रतिनिधि हैं।
और जिस भाषा में विजय शाह ने उनका ज़िक्र किया — वह भाषा गटर से भी बदतर है।

क्या ये केवल बयान है? नहीं!
यह एक फौजी, एक महिला, एक मुसलमान, और एक भारतीय पर एक साथ हमला है।


सुप्रीम कोर्ट ग़ुस्से में क्यों था?

क्योंकि विजय शाह अदालत में भी माफी को ‘अगर’ से जोड़ रहे थे —
“अगर किसी की भावना आहत हुई हो…”
अरे साहब, ‘अगर’?
आपने सेना की महिला अधिकारी को आतंक से जोड़ दिया — और आपको पता नहीं कि किसकी भावना आहत हुई?

कोर्ट ने साफ़ कहा —
“आप मानने को तैयार ही नहीं हैं कि आपने गलत किया।”
और इसलिए, कोर्ट ने SIT बनाई। तीन वरिष्ठ IPS अधिकारी अब जांच करेंगे — मगर सवाल ये है कि जब मामला इतना गंभीर है, तो विजय शाह अभी भी मंत्री क्यों हैं?


प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी क्यों?

मोदी जी, ये वही देश है जहाँ आपने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया था।
तो क्या ये नारा अब बदल गया है:
“बेटी को गाली दो, मंत्री को बचाओ?”

क्या विजय शाह का मंत्री बने रहना आपकी पार्टी की सहमति नहीं है?
अगर नहीं, तो उन्हें बर्खास्त क्यों नहीं किया गया?


ये सज़ा नहीं, इनाम है

जिस आदमी ने सेना की महिला अधिकारी पर खुलेआम ज़हर उगला, वह अब भी सरकारी गाड़ी, सुरक्षाकर्मी, और मंत्री पद का तमगा लिए घूम रहा है।
ये लोकतंत्र का नहीं, राजनीतिक गठजोड़ और ध्रुवीकरण का इनाम है।
अगर ये बयान किसी आम मुस्लिम नागरिक ने दिया होता, तो अब तक देशद्रोह और UAPA लग चुका होता। लेकिन मंत्री हैं, सो कानून भी नतमस्तक है।


अब चुप रहना भी गुनाह है

अगर हम इस पर नहीं बोले —
तो कल किसी और बहन को, किसी और अधिकारी को, किसी और मेहनती भारतीय को इस गटर राजनीति का शिकार होना पड़ेगा।

यह कर्नल सोफिया की नहीं, हमारी परीक्षा है।
यह तय करने की घड़ी है कि हम सेना के साथ हैं, या सत्ता की सड़ांध के साथ।


निष्कर्ष:

विजय शाह को बर्खास्त कीजिए, गिरफ्तार कीजिए — और मोदी जी, आप बोलिए। वरना आपकी चुप्पी भी अपराध की श्रेणी में गिनी जाएगी।

“संविधान का सम्मान भाषणों से नहीं, कार्रवाई से होता है।”
– अधिवक्ता अमरेष यादव


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