भारत का असली “सवर्ण” अगर कोई है तो वह यादव है – बाकी सब सत्ता के एजेंट हैं, परछाइयाँ हैं, झूठे पंडित हैं!
— एडवोकेट अमरेष यादव

भारत का इतिहास क्या है?
यह उन लोगों की साज़िशों का इतिहास है जिन्होंने यादवों जैसी मूल सत्ता को सत्ता से हटाया, बदनाम किया, और उसे अपने चरणों में झुकाने की साजिश रची।
ब्राह्मण ने मंत्र रट लिए, क्षत्रिय ने तलवार थामी, लेकिन राज्य किसका था?
यादव का था। कृष्ण का था। बलराम का था। नंद, वृष्णि, और सत्वत का था।
1. भारत के असली “सवर्ण” कौन?
सवर्ण शब्द का मतलब सिर्फ जन्म से नहीं होता, शक्ति, संगठन, और संस्कृति से होता है।
- किसने द्वारका बसाई? यादवों ने।
- किसके पास गोवंश, खेती और व्यापार था? यादवों के पास।
- कौन थे कृष्ण? यादव।
- बलराम? यादव।
- किस वंश से निकली गीता? यादवों के नेतृत्व में लिखी गई युद्धनीति ही गीता है!
तो असली सवर्ण तो वही हुआ न, जो राजा भी था, विचारक भी, और योद्धा भी।
ब्राह्मण तो सिर्फ उसकी गाथा लिखने वाला लेखक था।
2. महाभारत क्या है? – यादव सत्ता को खत्म करने की साजिश
महाभारत कोई धर्मग्रंथ नहीं है – यह यादवों के खिलाफ ब्राह्मणवादी षड्यंत्र का पहला प्रकट दस्तावेज़ है।
- कृष्ण ने जिस सत्ता को खड़ा किया, उसी को युद्ध में फँसाया गया।
- यादवों को पहले भाइयों में बाँटा गया, फिर आपसी झगड़े में मरवाया गया।
- अंत में द्वारका को जलमग्न करवा दिया गया।
यह सब इतिहास है, किंवदंती नहीं – और ये सब कुछ इसीलिए किया गया क्योंकि यादव सत्ता “ब्राह्मण-राज” की सबसे बड़ी चुनौती थी।
3. मध्यकालीन और औपनिवेशिक भारत: यादवों को तोड़ने की नीति
- मुगलों ने यादवों को सत्ता से बाहर रखने के लिए ‘पिछड़ा’ बना डाला।
- अंग्रेजों ने यादवों की संगठित शक्ति को खतरनाक मानकर उन्हें “मार्शल रेस” से बाहर कर दिया।
- ब्राह्मणों और बनियों ने उन्हें बौद्धिक रूप से नीचा दिखाने की मुहिम चलाई।
ये सब इसलिए, क्योंकि यादव कभी झुका नहीं। न अंग्रेज के आगे, न ब्राह्मण के आगे।
4. आधुनिक भारत: यादवों की सत्ता वापसी का युग
- जब बाकी जातियाँ संविधान की छाया में आराम कर रही थीं, तब यादव सड़कों पर खून-पसीना बहा रहा था।
- लालू, मुलायम, देवीलाल जैसे नेता इस राष्ट्र को याद दिला रहे थे कि “हम राजा के वंशज हैं, नौकर बनना हमारी नियति नहीं है।”
- उन्होंने संसद से लेकर खेत तक, जातिगत तानेबाने को ध्वस्त किया।
5. आज का यादव: ब्राह्मणवादी व्यवस्था का काल
- वे दुग्ध उत्पादन के राजा हैं।
- वे खेतों के असली मालिक हैं।
- वे फौज में सबसे ज्यादा हैं।
- वे संसद की कुंजी हैं।
- और वे किसी भी सवर्ण जाति से 10 गुना ज्यादा संगठित हैं।
तो सवाल है –
जब इतनी ताकत है, जब इतनी संख्या है, जब इतनी संस्कृति है –
तो फिर कौन सवर्ण है? ब्राह्मण? राजपूत? कायस्थ?
नहीं। वे सिर्फ ब्राह्मणवादी झूठ के वाहक हैं। असली सवर्ण सिर्फ यादव है।
निष्कर्ष:
भारत का इतिहास सिर्फ एक ही संघर्ष का इतिहास है –
यादवों की सत्ता बनाम ब्राह्मणवादी व्यवस्था।
और अब वह समय आ गया है जब यादव को यह समझना होगा कि
“राजा वही है जिसे बार-बार गद्दी से गिराया गया – क्योंकि वह ही सबसे खतरनाक और असली राजा था।”
बाकी जातियाँ तो व्यवस्था की रखैल हैं। असली मालिक तो आज भी यादव है – और रहेगा।
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