“वादों का व्यापारी, काम का भिखारी” — घोसी की जनता को फिर छला गया!

प्रिय घोसीवासियों,
आज जिस ‘सांसद’ महोदय ने एक साल की “कामयाबी” का रिपोर्ट कार्ड पेश किया है, आइए जरा तथ्यों की रोशनी में इसका पोस्टमार्टम करें:
1. वादा था विकास का, मिला जुमलों का पुलिंदा:
- लोकसभा में कितनी बार घोसी के लिए बजट मांगा?
- कितने प्रस्ताव संसद में स्वीकृत हुए?
- क्या एक भी केंद्रीय योजना विशिष्ट रूप से घोसी के लिए लाई गई?
सिर्फ भाषण से न सड़क बनती है, न अस्पताल।
2. MP Fund से लाइट और नाली – यही विकास है?
- सांसद निधि तो हर सांसद को मिलती है। वह कोई अहसान नहीं, जनता का हक है।
- कितने गांवों तक पीने का पानी पहुँचा?
- कितने स्कूलों में टॉयलेट बने?
बोलने से पहले बताइए कि जमीनी धरातल पर क्या बदला है?
3. ट्रेन की मांग का ढोल – अनुमति का भ्रम:
- गोरखपुर-बैंगलोर ट्रेन पहले से चल रही थी, उसका नाम बदल देने से घोसी को क्या मिला?
- क्या मऊ से नई वंदे भारत ट्रेन चली?
- रेलवे बजट में घोसी का जिक्र कहां है?
घोसी को ‘रेल जोन’ कब मिलेगा, या फिर वही पुरानी फाइलें घूम रहीं?
4. सड़कों की झूठी गिनती – कौन से गांव में बनी ये सड़कें?
- 16+13 सड़कें सिर्फ कागजों पर?
- क्या हर गांव तक पक्की सड़क पहुंची?
- मऊ-बलिया फोरलेन सिर्फ स्वीकृत है या उसका टेंडर भी हुआ?
स्वीकृति और निर्माण में जमीन-आसमान का फर्क होता है, मालिक।
5. बुजुर्गों के नाम पर ड्रामा:
- वयोश्री योजना तो केंद्र सरकार की है – इसमें आपका क्या योगदान?
- केवल उपकरण बांटना मतलब क्या आप सिर्फ फोटो खिंचवाने गए थे?
6. मांगें मांगें मांगें – काम कौन करेगा?
- हर मुद्दे पर “मांग की गई” लिखना आपके काम का रिपोर्ट है या “मांग पत्र लेखन प्रतियोगिता”?
- होमगार्ड वेतन, पुरानी पेंशन, अस्पताल, लाइब्रेरी – सब मांग में ही अटका है।
MP हैं या RTI कार्यकर्ता?
7. “अगर सरकार बनती” – हर बार यही बहाना!
- जब सांसद बनते समय आपने कहा था कि सरकार न बने तब भी आवाज बुलंद रखेंगे, तो अब किस बात का रोना?
- जब पहले पद नहीं था तब कहां थे?
पद हो या न हो, जो लड़ता है वही असली जनसेवक होता है।
8. स्वर्गीय कल्पनाथ राय जी का नाम – मगर काम कहां?
- उनकी तुलना में आप 1% भी मऊ को दे पाए?
- बिजली व्यवस्था चौपट, युवा बेरोजगार, स्वास्थ्य ढांचा चरमराया हुआ है – क्या यही विकास है?
🔴 घोसी के मालिकों से सवाल:
- 1 साल में मऊ मेडिकल कॉलेज में क्या सुविधा बढ़ी?
- रोजगार के कितने अवसर पैदा हुए?
- कानून-व्यवस्था के लिए क्या कदम उठाए?
- शिक्षा और स्वास्थ्य में “एक भी बड़ी योजना” लाई क्या?
राजनीति प्रचार से नहीं, परिणाम से होती है।
घोसी की जनता अब झूठे पोस्टर नहीं, सच्चे विकास की भूखी है।
अब वक्त है: ✅ जुमलेबाजों से सवाल पूछने का
✅ हर वादे का हिसाब मांगने का
✅ और 2027 में वोट उसी को देने का, जिसने काम किया हो, सिर्फ दावा नहीं।
#घोसी_जागो #जुमले_नहीं_हकीकत_चाहिए #MPReportCardFake
अमरेष यादव

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