SCBA के नाम खुला चिट्ठी: यह बार तुम्हारे बाप की जागीर नहीं है!

लेखक: अधिवक्ता अमरेष यादव

सुनो SCBA वालों,
अब बहुत हो चुका तुम्हारा ड्रामा, तुम्हारे नियम, तुम्हारी “सक्रिय वकील” की परिभाषा, और तुम्हारी बंद कमरे वाली राजनीति।

यह बार है, कोई राजा-महाराजाओं की सभा नहीं!
और हम अधिवक्ता हैं — तुम्हारे बनाए किसी विशेष क्लब के सेवक नहीं!


❌ तुम होते कौन हो तय करने वाले कि मैं “सक्रिय अधिवक्ता” हूं या नहीं?

मैंने भारत के संविधान के तहत अधिवक्ता की शपथ ली है।
मैंने अपनी मेहनत से डिग्री पाई है।
मैंने अपनी सदस्यता फीस दी है।
मैं SCBA का वैध सदस्य हूं।

तो फिर यह कौन सा धंधा चला रखा है तुमने —
कि 50 केस करने वाला ही चुनाव लड़ेगा,
कि सिर्फ वही वकील “पात्र” है जो हर हफ्ते कोर्ट में पेश हो?

क्या संविधान ने यह कहा है?
क्या अधिवक्ता अधिनियम में लिखा है कि बिना केस के मैं वकील नहीं रहूंगा?
यह सब तुमने खुद के फायदे के लिए घड़ा है — ताकि बाहरी, ग़रीब, पिछड़े और स्वतंत्र सोच रखने वाले वकील कभी चुनाव में न आ पाएं।


🧾 20 साल, 5 नाम — शर्म नहीं आती?

हर साल चुनाव होता है लेकिन जीतता वही है —
दुश्यंत दवे, विकास सिंह, पी.एच. पारिख… फिर वही चक्कर दोहराया जाता है।

क्या सुप्रीम कोर्ट में 2,000 अधिवक्ता हैं और जीतने लायक बस यही 4 लोग हैं?

नहीं — यह ‘चुनाव’ नहीं, यह ‘चयन’ है। और चयन भी वही करते हैं जो SCBA के अंदर सत्ता की कुर्सियों पर जमे हुए हैं।

तुमने चुनाव को ही बना दिया है एक शुद्ध नाटक,
जहां परदे के पीछे से स्क्रिप्ट पहले ही लिख दी जाती है।


💥 तुम्हारी योग्यता की शर्तें लोकतंत्र की हत्या हैं

तुम कहते हो —
“जो कोर्ट में नियमित पेश नहीं हो रहा, वो चुनाव नहीं लड़ सकता।”

तो फिर बताओ —

  • क्या संविधान कहता है कि संसद का चुनाव लड़ने के लिए रोज़ लोकसभा में जाना ज़रूरी है?
  • क्या कोई रिटायर्ड जज, वरिष्ठ वकील, या शोधकर्ता सुप्रीम कोर्ट नहीं आ सकता?
  • क्या बीमारी, मातृत्व अवकाश या व्यक्तिगत कारणों से कोर्ट न आने वाले वकील अपने अधिकार खो देंगे?

नहीं! यह सब तुम्हारा बनाया झूठ है — जिससे तुम जैसे कुलीन और रसूखदार वकील अपनी सत्ता बचाए रख सको।


🪧 यह बगावत है — खुली बगावत

आज मैं, अधिवक्ता अमरेश यादव, एलान करता हूं:

अगर तुम हमें चुनाव लड़ने से रोकते हो, तो हम अपना चुनाव कराएंगे।
अगर तुम हमें प्रतिनिधित्व नहीं दोगे, तो हम अपनी नई बार असोसिएशन बनाएंगे।
अगर तुम लोकतंत्र का मज़ाक बनाओगे, तो हम तुम्हारा चेहरा पूरे देश को दिखाएंगे।

SCBA की असलियत अब छुपने वाली नहीं।

अब यह “Supreme Court Bar Association” नहीं,
बल्कि “Supreme Cartel of Big Advocates” बन गई है।


⚖️ हम संविधान के सैनिक हैं, तुम्हारे क्लब के वेटर नहीं

यह देश संविधान से चलता है,
किसी विकास सिंह या किसी दवे साहब के मूड से नहीं।

हम न किसी गुट के हैं, न किसी सत्ता के —
हम तो वकालत के उस मूल मूल्य से निकले हैं जो कहता है:

“जहां अन्याय हो, वहां विद्रोह कर्तव्य है।”


✊ हमारा ऐलान

  • SCBA की शर्तों को हम सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
  • RTI के ज़रिए हम पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता मांगेंगे।
  • एक समान, लोकतांत्रिक और निष्पक्ष चुनाव प्रणाली लागू हो — इसके लिए PIL दायर करेंगे।
  • और ज़रूरत पड़ी तो पूरे देश के अधिवक्ताओं को एकजुट कर एक नया मंच खड़ा करेंगे।

SCBA वालों — ये बार तुम्हारे बाप की जागीर नहीं है।
अब जवाब दो, या रास्ता छोड़ो —
क्रांति दस्तक दे रही है।


अमरेष यादव

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