“घोसी का ठगहरा: जब समाजवाद चापलूसी की चादर ओढ़ लेता है”
✍️ जनता की आवाज़

साल 2024 के लोकसभा चुनाव में घोसी की जनता ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार राजीव राय को भारी समर्थन देकर दिल्ली भेजा था, उम्मीद थी कि संसद में आवाज़ उठेगी, विकास के मुद्दे गरजेंगे, और गरीब जनता का बेटा दिल्ली में अपना वजूद दर्ज कराएगा।
लेकिन अफसोस! ये “राजनीतिक बेटा” संसद पहुंचते ही “सरकारी चाचा” में तब्दील हो गया।
📸 ताज़ा फोटो: चापलूसी LIVE!
तस्वीर में सांसद महोदय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इस भाव में खड़े हैं जैसे छात्र अपने परीक्षा के नंबर बढ़वाने डीन से विनती कर रहा हो।
चेहरा भावशून्य नहीं, पूरी तरह समर्पित, झुका हुआ, गिड़गिड़ाता सा!
समाजवादी टोपी, लाल झंडा और “संघ-विरोधी विचारधारा” वाली आत्मा शायद कुरते की जेब में रख दी गई है — और बाहर बस एक चापलूस, मौन, अवसरवादी सांसद खड़ा है।
🤦♂️ वादा था लड़ेंगे, निकले लहर में बहने वाले!
घोसी के चुनावी मंचों से शेर की तरह दहाड़ते थे:
“हम समाजवाद की आखिरी मशाल हैं! मोदी सरकार को एक्सपोज करेंगे!”
अब वही साहब संसद में सरकारी प्रेस नोट पढ़ने वाले प्रवक्ता बन गए हैं।
चुनाव से पहले जो व्यक्ति BJP को लोकतंत्र का हत्यारा बताते नहीं थकते थे, आज उन्हीं के आगे चिट्ठी लेकर खड़े हैं, जैसे ग़ुलाम अपने मालिक से रहम की भीख मांग रहा हो।
🧾 काम? या सिर्फ़ भाषण और बयान!
इनके 1 साल के रिपोर्ट कार्ड में:
- “मांग की गई”
- “पत्र लिखा गया”
- “प्रस्ताव भेजा गया”
जैसे सांसद नहीं, RTI कार्यकर्ता हों।
ट्रेन, अस्पताल, पुस्तकालय, सड़क — सब कुछ “प्रस्तावित” है।
बस एक ही चीज़ पक्की है — प्रधानमंत्री की चापलूसी।
🔴 समाजवाद का चोला, सत्ता की गोद में
यह वही समाजवादी पार्टी है जो कभी लोहिया के नाम पर झंडा उठाती थी।
आज उसी पार्टी का सांसद प्रधानमंत्री के दरबार में “दबंग” नहीं, “दरबारी” बनकर खड़ा है।
क्या यही है वो समाजवाद, जो सत्ता की चाकरी में दम तोड़ दे?
📢 जनता पूछेगी, जवाब मांगेगी:
- क्या इसी दिन के लिए वोट दिया था?
- चापलूसी से घोसी का विकास होगा?
- मोदी जी से मुलाकात विकास के लिए थी या राजनीतिक भविष्य की भीख मांगने?
निष्कर्ष:
राजीव राय अब समाजवादी नहीं, “सत्ता के संत” बन चुके हैं।
जो कभी मोदी के खिलाफ गरजते थे, आज उन्हीं के आगे झुकते-गिड़गिड़ाते नजर आते हैं।
जनता अब देख रही है — चापलूसी की चाशनी में लिपटी राजनीति और विकास के खोखले दावे।
#घोसी_की_गद्दारी
#सांसद_का_सत्य
#राजनीति_या_चापलूसी
#समाजवाद_का_विनाश
अमरेष यादव
Leave a comment