🔥 “बलि का बकरा” नहीं, “सिस्टम का राज़” है जस्टिस यशवंत वर्मा! FIR से डर क्यों? सुप्रीम कोर्ट चुप क्यों? कौन-सी पोल खुलने का डर है?
✍️ ओपिनियन पोस्ट | #AmareshYadavWrites

ये कोई मामूली आग नहीं थी, ये सिस्टम के गटर में लगी आग थी!
दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में एक जज के सरकारी आवास में लगी आग, और फिर अचानक “नकदी मिली” की खबर!
लेकिन असली सवाल क्या है?
अगर यशवंत वर्मा दोषी हैं, तो FIR क्यों नहीं?
अगर निर्दोष हैं, तो महाभियोग की धमकी क्यों?
और सबसे बड़ा सवाल – सुप्रीम कोर्ट के CJI चुप क्यों हैं?
🧨 बात सीधी है – कुछ बहुत बड़ा छुपाया जा रहा है!
इन-हाउस जांच हो चुकी है।
वकीलों की लॉबी चुप नहीं बैठ रही।
राजनीतिक बयानबाज़ी चालू है।
मीडिया TRP काट रहा है।
लेकिन अब तक FIR नहीं! क्यों?
➡️ क्यों नहीं CJI सरकार को अनुमति दे रहे कि FIR दर्ज हो और पुलिस जांच शुरू हो?
➡️ क्योंकि FIR होते ही “सिस्टम की गंध आती सच्चाइयाँ” बाहर आने लगेंगी।
🕳️ ये सिर्फ आग नहीं थी, सिस्टम की ‘क्लीन-अप ऑपरेशन’ थी!
जरा सोचिए:
- आग स्टोर रूम में लगी – जज का बेडरूम नहीं, चैम्बर नहीं।
- जस्टिस वर्मा उस वक्त दिल्ली में नहीं थे – भोपाल में थे।
- नकदी की तस्वीरें मीडिया तक कैसे पहुँचीं? दमकल वालों ने तो इंकार कर दिया कि उन्हें कुछ मिला।
- इन-हाउस रिपोर्ट लीक कैसे हुई? और क्यों उसी समय कुछ चैनल 2018 की झूठी केस स्टोरी चला रहे थे?
साफ है – ये पूरा प्लान बना हुआ था!
💣 यशवंत वर्मा की आड़ में असल मछलियाँ बचाई जा रही हैं!
जज वर्मा कोई बिकाऊ नाम नहीं।
वो केंद्र सरकार के खिलाफ कई कड़े फैसले दे चुके हैं।
वो कॉलेजियम की अंदरूनी राजनीति से भी टकरा चुके हैं।
वो SCBA में बैठे लॉबी लॉर्ड्स की साज़िशों को पहचान चुके थे।
अब ये पूरी लॉबी, सत्ता से मिलकर उन्हें खत्म करना चाहती है – लेकिन FIR से डरती है क्योंकि…
👉 अगर FIR हो गई, तो CDR (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) निकलेगा।
👉 अगर FIR हो गई, तो CCTV निकलेगा।
👉 अगर FIR हो गई, तो मालकिनें और मेहमानों की लिस्ट निकलेगी।
👉 और अगर FIR हो गई, तो ये भी निकलेगा कि पैसे किसके थे – वर्मा के या किसी ‘माई-लॉर्ड लॉबी’ के।
🎯 महाभियोग का डर दिखा रहे हो? FIR से क्यों भाग रहे हो?
सुनिए मिस्टर रिजिजू एंड कंपनी –
अगर आपके पास “इन-हाउस रिपोर्ट” है,
अगर आपको जस्टिस वर्मा दोषी लगते हैं,
तो सीधे FIR कराओ, जांच करवाओ, चार्जशीट लगाओ!
लेकिन आपको डर है – कि इस बलि का बकरा अगर बोला, तो बहुत से “माननीयों” की पोल खुल जाएगी।
🕵️♂️ क्या कॉलेजियम और SCBA की साज़िश फूट जाएगी?
SCBA के अंदर कुछ तथाकथित “एलीट” लॉबी बना चुके हैं – एक ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स’!
जो चाहते हैं, वही होता है।
जो नहीं झुकता, उसे मिटाया जाता है।
और जो सवाल पूछे, उसे “करप्ट” घोषित कर दिया जाता है।
क्या वर्मा साहब इसी लॉबी का अगला शिकार हैं?
क्या ये आग उसी लॉबी की गंदी राजनीति का धुआँ है?
🔥 निष्कर्ष: जस्टिस वर्मा एक चेहरा हैं, हमला न्यायपालिका की आत्मा पर है!
आज अगर वर्मा को FIR से पहले ही ‘खलनायक’ बना दिया गया,
तो कल हर ईमानदार जज खामोश रहेगा।
क्योंकि उसे डर होगा –
कहीं अगली आग उसके घर में न लगवा दी जाए।
कहीं अगली फोटो उसकी न छपवा दी जाए।
✊ अब वक्त है सवाल पूछने का:
- FIR क्यों नहीं?
- सुप्रीम कोर्ट CJI चुप क्यों?
- इन-हाउस रिपोर्ट लीक किसने की?
- नकदी की तस्वीरें किसने दी?
- मीडिया को 2018 का झूठा केस किसने थमाया?
- और… जस्टिस वर्मा को बलि का बकरा क्यों बनाया गया?
अगर ये साज़िश नहीं, तो फिर क्या है?
कहिए… “सिस्टम” अब जवाब देगा? या फिर एक और आग लगेगी, और कोई और जस्टिस चुपचाप जल जाएगा?
✍️ – एडवोकेट अमरेष यादव
#RanDPolitics | #JudiciaryExposed | #JusticeOrJoke
🔔 इसे पढ़िए, सोचिए, और आवाज़ उठाइए – क्योंकि चुप रहना अब मुमकिन नहीं है!
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