🔍 “सेवा” की कैद: एक संगठन के अपहरण की साज़िश 🔥

“सेवा”—एक ऐसा संगठन जो बना था वंचित वर्ग के कर्मचारियों के संघर्ष, पीड़ा और संकल्प से। एक ऐसा मंच, जो उन लोगों के लिए खड़ा किया गया था जिन्हें समाज में सबसे कमज़ोर माना गया—ताकि वे शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर लड़ सकें।
लेकिन आज यह संगठन अपने असली मक़सद से भटक गया है।
और इसकी वजह है — “Closed गैंग” का सुनियोजित कब्ज़ा।
🕳️ कौन हैं ये ‘Closed गैंग’?
ये कोई वैचारिक कार्यकर्ता नहीं हैं।
ये वो लोग हैं जिन्होंने संगठन को भीतर से खोखला करने की पूरी रणनीति बना रखी है।
- सभी प्रमुख निर्णय गुपचुप तरीके से, सीमित लोगों के बीच लिए जाते हैं।
- संगठन के पद अब मेहनत, ईमानदारी या प्रतिबद्धता से नहीं, बल्कि सांठगांठ और निजी संबंधों से तय होते हैं।
- यह एक “इनसाइडर क्लब” बन चुका है, जहां बाहर वालों की न तो जगह है, न ही आवाज़।
इनका एजेंडा स्पष्ट है:
“सेवा” का नाम लेकर सिर्फ अपने पावर नेटवर्क को मजबूत करना।
🎭 इनका असली खेल क्या है?
- संगठन को पारदर्शिता से दूर ले जाकर, बंद दरवाजों के पीछे फैसले लिए जा रहे हैं।
- “सेवा” अब एक मिशन नहीं, बल्कि निजी करियर और संपर्कों की सीढ़ी बन गई है।
- जो भी सदस्य सवाल उठाता है, उसे चुप करवा दिया जाता है या साइडलाइन कर दिया जाता है।
- सामाजिक न्याय की लड़ाई अब केवल कागज़ों और पोस्टरों में बची है—जमीनी स्तर पर संगठन ठप है।
📌 क्या हम चुप रह सकते हैं?
- क्या हम उस संस्था को कुछ चालाक लोगों के हवाले कर दें, जिसकी बुनियाद सच्चाई और संघर्ष पर रखी गई थी?
- क्या हम संगठन को एक “प्राइवेट क्लब” बनते हुए देखते रहें, जबकि बाहर समाज के लोग मदद की आस लगाए खड़े हैं?
अगर अब भी चुप रहे, तो यह सिर्फ संगठन का नहीं, बल्कि पूरे मिशन का अंत होगा।
🚩 अब वक्त है इनके षड्यंत्र को बेनकाब करने का!
- सभी सदस्यों को इस बंद गैंग की कुनीति और अपारदर्शिता के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी।
- संगठन की आंतरिक पुनर्समीक्षा और संस्थागत शुद्धिकरण जरूरी है।
- एक खुला, लोकतांत्रिक और जवाबदेह ढांचा ही “सेवा” को उसकी मूल दिशा में लौटा सकता है।
- Closed गैंग की हर गतिविधि और सत्ता-केन्द्रों को पब्लिक स्कैनिंग में लाना होगा।
✊ याद रखिए: “सेवा” एक मिशन है, किसी ग्रुप की जागीर नहीं!
“सेवा” का हर सदस्य अगर सचमुच सेवा के मूल विचार में यकीन रखता है, तो अब समय आ गया है —
इस कब्ज़े के खिलाफ संगठित और आक्रामक प्रतिरोध का।
अब सिर्फ एक नारा:
“सेवा को गैंग से आज़ाद कराओ – संगठन को फिर जनसरोकार से जोड़ो!”
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#गैंग_मुक्त_सेवा
#संगठन_निजी_जागीर_नहीं
#सेवा_का_अपहरण
#बंद_दरवाज़े_खोलो
अगर आप चाहें, तो इसका संक्षिप्त संस्करण सोशल मीडिया के लिए या संस्थागत प्रस्ताव पत्र के रूप में भी तैयार किया जा सकता है।
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