🛑 “भूमि पर कब्जा और नैरेटिव पर PR – यही है ‘PDA मॉडल’?”

✍️ – अमरेष यादव, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट
जब कोई सत्तासीन नेता पर जमीन हड़पने का आरोप लगता है, तो वो कोर्ट में सफाई देने के बजाय PR कैंपेन में लग जाता है — यही हो रहा है राजीव राय के साथ।
सच्चाई ये है कि प्रोफेसर डॉ. अनिल यादव, जो एक सम्मानित शिक्षक, समाजसेवी और कानूनी रूप से मजबूत नागरिक हैं, अपने पुश्तैनी ज़मीन पर कब्जे के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं — और उनकी आवाज़ को दबाने के लिए अब ‘PDA गैंग’ ने PR और पेड पोस्ट्स का सहारा लिया है।
💣 PR में झूठ, ज़मीन पर कब्ज़ा – ये कैसी समाजवाद की परिभाषा?
क्या हर महीने बीस लाख रुपये बांटने वाला व्यक्ति कानून से ऊपर हो जाता है?
क्या दान देने से जमीन पर अवैध कब्जा वैध हो जाता है?
अगर यही मापदंड है, तो फिर जेल में बंद सारे अपराधी भी हर महीने दान कर लें और VIP बन जाएं!
🔍 ज़रा तथ्यों की पड़ताल करें:
- यह मामला व्यक्तिगत नहीं, कानूनी है – ज़मीन प्रो. अनिल यादव के परिवार की है। उन्होंने कानून के दायरे में आवाज़ उठाई है।
- बीजेपी, PDA या चुनावी हार से इसका कोई लेना-देना नहीं, यह ज़मीन से जुड़ा फैक्ट-बेस्ड डिस्प्यूट है, जिसका समाधान कोर्ट से होना है, ना कि “पत्रकारिता की दलाली” से।
- अगर राजीव राय निर्दोष हैं, तो कोर्ट जाएं – प्रेस नहीं, PR नहीं, पोस्टर नहीं।
🎭 पत्रकारों की बिकाऊ थाली:
जिस पोस्ट की चर्चा हो रही है, वह पत्रकार अनिल यादव द्वारा पेड तरीके से लिखा गया पोस्ट है — जो तथ्यों की बजाय भावनाओं, जातीय समीकरणों और “PDA” ड्रामे पर आधारित है।
यह एक खतरनाक ट्रेंड है:
- जब कोई व्यक्ति ज़मीन पर कब्जे के खिलाफ आवाज़ उठाता है — उसे भाजपा एजेंट बना दिया जाता है।
- जब कोई सवाल पूछता है — तो उसे “राजनीतिक साजिश” कह कर चुप कराया जाता है।
⚖️ क्या सांसद कानून से ऊपर हैं?
राजीव राय कोई साधारण आदमी नहीं — वो सांसद हैं। उनके पास राजनीतिक रसूख है, पुलिस-प्रशासन पर असर है। क्या ये संभव नहीं कि वो उस ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहे हों?
अगर BJP ने अब तक उन्हें “नहीं बख्शा”, तो ये उनकी ताकत नहीं, प्रणाली की कमजोरी है।
पर ये मत भूलिए, कानून देर से चलता है लेकिन चलता जरूर है।
🔥 अंतिम सवाल:
क्या “गरीबों में बांटने” से जमीन हथियाने का लाइसेंस मिल जाता है?
क्या सांसद होने का मतलब ये है कि आपकी हर गलती ‘सेवा’ बन जाती है?
क्या PDA मॉडल का मतलब यही है — PR, पैसा और पर्दा?
✊ हम प्रोफेसर अनिल यादव के साथ हैं — क्योंकि ये लड़ाई सिर्फ एक ज़मीन की नहीं है, ये सवाल है उस सियासी माफिया मॉडल का जो सत्ता, जाति और झूठे नैरेटिव से सच को कुचल देता है।
🖊 #भूमाफिया_सांसद
🖊 #PR_से_सत्य_नहीं_छुपेगा
🖊 #अनिल_यादव_की_लड़ाई
🖊 #जनता_वर्सेस_राजनीति
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