🚨 पकौड़ी पत्रकारिता – एपिसोड 2.0: “ठगहरा का ड्रामा, PR की चाट और फर्जी मानहानि का अखाड़ा!”

भाइयो और बहनो,
जिसे आप राजनीतिक लड़ाई समझ रहे हैं, वह असल में पकौड़ी पत्रकारिता की प्रायोजित नौटंकी है — जिसमें राजीव राय ठगहरा ब्रांड के सांसद और राजभर खानदान के चाटुकार मंत्रीपुत्र मिलकर लोकतंत्र की लाश पर कुश्ती कर रहे हैं।
👊 असल मुद्दा क्या है?
मऊ की विवादित जमीन — जिसमें डॉ. अनिल कुमार यादव, ठाकुर अजय सिंह, चार्टर्ड अकाउंटेंट व अन्य के नाम भू-अभिलेख में दर्ज हैं।
लेकिन साहब ठगहरा ने कभी कोई दीवानी मुकदमा नहीं किया, कोई कागज़ कोर्ट में नहीं रखा, कोई सिविल न्यायालय की शरण नहीं ली।
👉 क्योंकि उन्हें पता है —
सच सामने आ गया तो झूठ की सियासत, फर्जी दान की कहानियाँ और पीआर की चमकदार चादरें तार-तार हो जाएंगी।
इसलिए PR टीम का पकौड़ी पत्रकार मैदान में उतरता है — कभी दानवीर बना कर, कभी सद्भावी साधु बना कर।
💥 अब करते हैं मानहानि का ड्रामा — वो भी अरुण राजभर पर!
क्यों?
ताकि असली सवाल दब जाएं। ताकि जनता सोच ले कि “देखो सांसद तो कोर्ट जा रहे हैं, कानून का रास्ता अपना रहे हैं।”
सवाल यह है:
➡️ अनिल यादव से क्यों भाग रहे हो साहब?
➡️ अगर आपकी जमीन है, तो दस्तावेज़ लेकर सिविल कोर्ट जाइए!
➡️ या फिर आप मानते हैं कि जमीन आपकी है ही नहीं, बस राजभरों से ड्रामेबाज़ी कर पकौड़ी पत्रकारिता का उत्सव मनाना है?
🛑 ये सिर्फ पकौड़ी पत्रकारों के लिए नहीं — ये जनता के लिए खतरा है!
क्योंकि जब सवालों का जवाब न हो, तो ये पकौड़ी पत्रकार PR के चटनी में सच्चाई को डुबोकर चाट जाते हैं।
इन्हें पत्रकार न कहिए, इन्हें कहिए सत्ता के तलवे चाटने वाले पकौड़ीबाज।
🔥 राजीव राय महोदय!
अगर आपमें हिम्मत है, तो अनिल यादव से सीधा मुकाबला करिए कोर्ट में,
न कि राजभरों के साथ नूरा-कुश्ती रचाकर पकौड़ी पत्रकारों से वाहवाही लूटिए।
📛 क्योंकि अब जनता जान चुकी है —
पकौड़ी पत्रकारिता असल में “PR + झूठ + चरणवंदना” का घोल है,
जिसमें लोकतंत्र की खुशबू नहीं, सिर्फ सत्ता की तलहटी की सड़ांध है।
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#पकौड़ीपत्रकारिता_एक_धोखा
#अनिल_यादव_से_डरते_क्यों_हो
#न्याय_नहीं_ड्रामा_करते_हो
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