मऊ को माफिया मंडी नहीं बनने देंगे!
🖋 अमरेष यादव, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट


अब बहुत हो गया! मऊ जिले को क्या ठेका ले लिया है बाहरी नेताओं ने?
यह ज़िला क्या यतीम है? यहां के लोगों के पास क्या ज़मीर नहीं बचा?
या फिर राजनीतिक दलों को मऊ की मिट्टी से इतनी नफ़रत हो गई है कि हर बार कोई बाहरी, अपराधी, या माफिया प्रवृत्ति वाला नेता लाकर थोप दिया जाता है?

मऊ की राजनीति आज बेशर्मी का जीता-जागता उदाहरण बन गई है।

हर चुनाव में बलिया, आजमगढ़, गाजीपुर के ‘ठेकेदार’ यहां आ धमकते हैं — और पार्टी दफ्तरों में चाय-समोसे के साथ डील पक्की कर ली जाती है। फिर मऊ की जनता को पैसे, जाति और डर के जाल में फंसाकर वोट लिया जाता है। उसके बाद? 5 साल का अंधेरा, अपमान, और लूट।

👉 राजीव राय — बलिया का!
👉 अरुण राजभर — बलिया का!
👉 फागू चौहान — आजमगढ़ का!
👉 दारा सिंह चौहान — आजमगढ़ का!
👉 मुख्तार और अब्बास अंसारी — गाजीपुर के!
👉 अजय राय — गाजीपुर का!

क्या मऊ में नेता पैदा नहीं होते या फिर नेताओं को जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है?

यह तो सीधा-सपाट अपमान है — मऊ के स्वाभिमान का, इसके युवाओं का, और इसकी राजनीति का!

इन बाहरी नेताओं की मऊ के प्रति कोई भावनात्मक जवाबदेही नहीं है।
उनके लिए मऊ सिर्फ़ एक ‘पॉकेट बोरो’ है —
🟥 कहीं ज़मीन पर कब्जा करना है,
🟥 कहीं ट्रांसपोर्ट पर कब्जा जमाना है,
🟥 कहीं हवाला कारोबार की पनाह लेनी है,
🟥 तो कहीं गुंडई करके नाम रोशन करना है!

इनमें से अधिकतर नेता या तो भूमाफिया हैं, आपराधिक मामलों में लिप्त हैं, या फिर पार्टी विशेष के एजेंट बनकर जिले में घुसे हुए हैं।

और राजनीतिक दल?
उनकी ज़ुबान पर सिर्फ एक बात — “जो जिताऊ हो, उसे टिकट दो।”
चाहे वह बाहरी हो, माफिया हो, या जनता का दुश्मन!


अब मऊ की जनता को तय करना होगा — क्या वो जिले को राजनीतिक उपनिवेश बनाना चाहती है?

  • क्या हर बार अपनी ज़मीन, अपने वोट और अपने भविष्य को किसी बाहरी गुंडे के हवाले करते रहेंगे?
  • क्या इस बार भी कोई ‘ठेकेदार सांसद’ आएगा और चुनाव जीतते ही गाजीपुर या बलिया भाग जाएगा?
  • क्या मऊ की बेटियां, नौजवान और व्यापारी हमेशा बाहरी नेताओं की लूट, ठगी और धमकी के शिकार बनते रहेंगे?

समय आ गया है — एक जनक्रांति का!

🟩 अब मऊ को चाहिए मऊ का बेटा —
न कि गाजीपुर का माफिया या बलिया का दलाल!

🟩 अब वोट ऐसे नेता को दो —
जिसे आपकी गली, आपका दर्द और आपके सपनों से वास्ता हो।
जो चुनाव के बाद भी आपके साथ रहे —
न कि दिल्ली, लखनऊ या दुबई से जिले पर राज करे।

🟩 जाति नहीं, नीयत देखो।
🟩 पैसे नहीं, पिछला ट्रैक रिकॉर्ड देखो।
🟩 बाहरी चमक-दमक नहीं, स्थानीय संघर्ष देखो।


एक नारा याद रखिए —

❗ “मऊ का हक़, मऊ के हाथ में!”

❗ “बाहरी नेताओं का बहिष्कार करो!”

❗ “मऊ को माफिया-मुक्त बनाओ!”


✍️ इस बार चुनाव में ईवीएम का बटन ऐसा दबाओ, कि गाजीपुर-बलिया-अजमगढ़ के बाहरी माफिया नेताओं की राजनीति का बटन ही ऑफ हो जाए!

#मऊ_बोलेगा #अबकी_बार_स्थानीय_सरकार


अमरेष यादव

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