धिक्कार है मऊ की राजनीति और उससे भी बड़ा धिक्कार है मऊ की सोई हुई जनता को!
✍️ — अमरेष यादव, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट

मऊ फिर से एक बार ठगा जाएगा!
एक ओर बीजेपी और सुभासपा (SBSP) मिलकर मऊ पर नया माफिया थोपने की तैयारी में हैं,
तो दूसरी ओर सपा-कांग्रेस और INDIA गठबंधन पुरानी गाजीपुरिया माफियागीरी की विरासत को बचाने में लगे हैं।
और मऊ की जनता?
बस खड़ी होकर तमाशा देख रही है — मानो मऊ किसी और की जागीर हो, और यहां के लोग सिर्फ़ वोटर नहीं, गुलाम हों!
🔴 फिर वही बाहरी बनाम मऊ का बेटा!
सुभासपा-एनडीए कैंप:
- ब्रजेश सिंह — बलिया/गाजीपुर से आयातित चेहरा, जिसकी पहचान बाहुबल, सत्ता संगठनों और ठेकेदारी से है।
- अरविंद राजभर — ओपी राजभर के बेटे, यानी वंशवाद का नमूना, जिन्हें मऊ की जनता से कोई लेना-देना नहीं!
बीजेपी:
- अशोक सिंह — पिछले चुनाव में हारे, फिर भी थोपे जा सकते हैं क्योंकि “और कोई नहीं मिला”। यही है भाजपा की स्थानीय नेतृत्व के प्रति सोच!
SP-कांग्रेस/INDIA गठबंधन:
- अब्बास अंसारी के परिवार से कोई सदस्य — यानी गाजीपुर के माफिया घराने की पुनः चढ़ाई!
💥 इन सभी का एक ही लक्ष्य — मऊ की सत्ता पर कब्ज़ा!
किसी को मऊ के युवाओं, किसानों, व्यापारियों की चिंता नहीं।
सभी को बस सीट चाहिए, ताकि अगला पांच साल मऊ की ज़मीन, ठेके, ट्रांसपोर्ट, और हवाला रूट से माल काटा जा सके।
🔥 अब मऊ का चुनाव — माफिया बनाम जनता की अस्मिता है!
- BJP-सुभासपा मिलकर जिस “ब्रजेश सिंह” जैसे बाहरी व्यक्ति को उतार रहे हैं, वो कौन है?
👉 क्या मऊ के बेटे-बेटियों में कोई नहीं बचा? - SP-कांग्रेस जो “गाजीपुर के गुंडों” को टिकट देना चाहती है, वो क्यों?
👉 क्या मऊ सिर्फ़ माफिया वंश के लिए उपयुक्त है? - क्यों हर बार मऊ में बाहरी अपराधी, बाहरी जातिवादी, बाहरी नेता का आयात होता है?
मऊ कोई Dumping Ground नहीं है,
मऊ कोई Gunda Shelter Home नहीं है!
मऊ के लोग भी सोचते हैं, लड़ सकते हैं, नेतृत्व कर सकते हैं।
🛑 अबकी बार जनता को चुप रहना गुनाह है!
❌ जो चुप रहेगा, वो भी दोषी होगा!
❌ जो वोट बेचेगा, वो भी मऊ का गुनहगार होगा!
❌ जो जाति या धर्म के नाम पर बाहरी माफिया को वोट देगा, वो मऊ की आने वाली पीढ़ियों के गुनहगारों में गिना जाएगा!
✊🏼 जनता से सीधी अपील:
- कोई भी दल यदि बाहरी उम्मीदवार उतारता है —
❗ जनता उस उम्मीदवार का सोशल, राजनीतिक और सार्वजनिक बहिष्कार करे। - मऊ को चाहिए मऊ का बेटा, जो जनता के बीच पला-बढ़ा हो, जिसकी ज़मीन यहीं हो, जिसका नाता सिर्फ़ कुर्सी नहीं, जिम्मेदारी से हो।
📢 अबकी बार का नारा होना चाहिए:
❌ “ना ब्रजेश, ना अब्बास — मऊ को चाहिए जनविश्वास!”
❌ “ना बाहरी, ना माफिया — अब मऊ चलेगा अपने दम पर!”
❌ “मऊ का हक, मऊ के हाथ — अब न सौपेंगे किसी बाहरी के पास!”
📌 यदि इस बार मऊ फिर चुप रहा — तो याद रखिए, इतिहास माफ नहीं करेगा!
ये चुनाव सिर्फ़ एक सीट का नहीं —
ये चुनाव मऊ की मिट्टी, मऊ के आत्मसम्मान, और मऊ की अगली पीढ़ी की किस्मत का है।
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