❝जब एक ठगहरा सांसद जनता को ब्लॉक कर दे – तो लोकतंत्र कहां जाए?❞
✍️ Advocate Amaresh Yadav, Supreme Court of India

जब कोई आम नागरिक लोकतंत्र में अपने जनप्रतिनिधि से सवाल करता है, तो वह केवल अपना अधिकार नहीं निभा रहा होता – वह संविधान की उस आत्मा को जीवित रखता है जिसकी बुनियाद ही “लोकतंत्र जनता से, जनता के लिए, जनता के द्वारा” है। पर अगर वही जनप्रतिनिधि, जो संसद तक जनता की कृपा से पहुंचा है, सवालों से भागकर जनता को X (Twitter) जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर ब्लॉक करने लगे, तो यह लोकतंत्र की हत्या नहीं तो क्या है?
🔴 यह मामला अकेले एक ब्लॉक का नहीं है…
यह घटना घटी है उत्तर प्रदेश के मऊ ज़िले के घोसी लोकसभा क्षेत्र में, जहां के सांसद श्री राजीव राय ने जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. अनिल कुमार यादव को X पर ब्लॉक कर दिया – केवल इसलिए क्योंकि उन्होंने अवैध भूमि कब्जे के विरुद्ध एक जनसवाल उठाया था।
सवाल यह नहीं है कि किसे ब्लॉक किया गया।
सवाल यह है कि जनता का प्रतिनिधि जब जनता से ही मुंह मोड़ ले, तो संविधान की मर्यादा कौन निभाएगा?
⚖️ संविधान और सांसद की जवाबदेही
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। यदि कोई सांसद इस अभिव्यक्ति को कुचलने के लिए डिजिटल ब्लॉक का सहारा लेता है, तो यह न केवल नैतिक अपराध है, बल्कि यह उसकी लोकतांत्रिक अपरिपक्वता और प्रशासनिक अहंकार का प्रतीक है।
सांसद कोई राजा नहीं होता। वह जनता का सेवक होता है। संसद में बैठने की उसकी शक्ति जनता से ही आती है। और अगर वह सेवक ही सवालों से डरकर दरवाज़े बंद करने लगे, तो फिर जनता कहाँ जाए?
🏗️ ज़मीनी हकीकत: भूमि कब्जे का गंभीर आरोप
डॉ. अनिल यादव कोई ट्रोलर नहीं हैं। वे जमीन पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए हैं कि राजीव राय द्वारा संरक्षित तंत्रों के ज़रिए एक वैध भूमि पर अवैध कब्ज़ा किया गया है। क्या इन आरोपों की जांच नहीं होनी चाहिए? क्या जनता का यह हक़ नहीं बनता कि वह अपने सांसद से जवाब मांगे?
अगर सांसद इस सवाल से डरकर सोशल मीडिया पर लोगों को ब्लॉक करेंगे – तो फिर वे किसलिए सांसद बने हैं?
📢 चुप्पी अब अपराध है
राजीव राय जैसे सांसद अगर केवल चुनाव जीतने के बाद श्रीमतियों की भीड़, हवाई दौरे और मीडिया की चाटुकारिता में उलझे रहें, और जब कोई यथार्थ का आईना दिखाए तो उसे ही ब्लॉक कर दें – तो जनता के पास अब विरोध की सभी लोकतांत्रिक विधियों को अपनाने का अधिकार है।
- RTI दाखिल कीजिए
- जनहित याचिका दायर कीजिए
- मीडिया को पत्र लिखिए
- सड़क पर आइए, जनसुनवाई कराइए
- और सबसे ज़रूरी – अगली बार इस तरह के ‘ठगहरा सांसद’ को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाइए।
🧠 ‘ठगहरा सांसद’ की पहचान?
ठगहरा सांसद वह होता है:
- जो जनता के सवालों से घबराता है।
- जो मीडिया में अपनी छवि चमकाता है, लेकिन ज़मीन पर फेल है।
- जो जनता को नज़रअंदाज़ कर अपने ‘गिरोह’ के इशारे पर काम करता है।
- जो लोकतंत्र को केवल इलेक्शन जीतने का ज़रिया समझता है, न कि सेवा का दायित्व।
📌 निष्कर्ष
सांसद घोसी – श्री राजीव राय का यह व्यवहार न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि यह जनता का अपमान भी है। सवालों से भागना, ब्लॉक करना, चुप्पी साध लेना — यह सब लोकतांत्रिक अपराध है।
एक जनप्रतिनिधि का फर्ज है कि वह सवालों का सामना करे, उत्तर दे, और जनता को जवाबदेह प्रशासन दे – न कि डिजिटल दीवार खड़ी करके छुप जाए।
“यदि आप जनता से भाग रहे हैं, तो आपको सांसद रहने का नैतिक अधिकार नहीं है।”
लेखक परिचय:
अमरेश यादव, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया में अधिवक्ता हैं। वे जनहित याचिकाओं, संवैधानिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रखर पक्षधर हैं।
यदि आप चाहें तो इसका हिंदी ब्लॉग स्वरूप में पेश किया जा सकता है।
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