राजीव राय प्रकरण: संवैधानिक शुचिता बनाम व्यक्तिगत लाभ का खेल
—Advocate Amaresh Yadav, Supreme Court of India

भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी पूँजी उसकी चुनावी शुचिता (electoral integrity) और संवैधानिक पदों की गरिमा है। लेकिन समाजवादी पार्टी के सांसद श्री राजीव राय द्वारा हाल ही में स्वयं साझा किया गया एक वीडियो गंभीर प्रश्न खड़े करता है—क्या व्यक्तिगत प्रचार और राजनीतिक mileage के लिए संविधान और कानून की सीमाएँ तोड़ी जा सकती हैं?
(A) जन्मतिथि की स्वीकारोक्ति – एक सीधा अपराध
गृहमंत्री श्री अमित शाह के बधाई कॉल पर जब राजीव राय से पूछा गया कि यह कौन-सा जन्मदिन है, तो उनका उत्तर था:
👉 “ऑफिशियली 56वाँ है, लेकिन वास्तविक में 53 है।”
यह कोई सामान्य बयान नहीं, बल्कि स्वयं द्वारा किया गया स्वीकार (admission) है कि आधिकारिक रिकॉर्ड (official records) और वास्तविक जन्मतिथि में जानबूझकर अंतर रखा गया है।
कानूनी दृष्टि से यह सीधे-सीधे जालसाजी (Forgery), धोखाधड़ी (Cheating) और मिथ्या विवरण (False Statement) की श्रेणी में आता है।
- BNS/IPC की धारा 177, 181: लोक प्राधिकारी को झूठी जानकारी देना।
- धारा 420: धोखाधड़ी कर अनुचित लाभ लेना।
- धारा 465, 468, 471: जालसाजी और फर्जी दस्तावेज़ का उपयोग।
- Representation of People Act, 1951 की धारा 125A: नामांकन पत्र में गलत जानकारी देना।
इन प्रावधानों के आलोक में यह निर्विवाद है कि राजीव राय का यह आचरण आपराधिक दायित्व (criminal liability) उत्पन्न करता है।
(B) गृहमंत्री के कॉल की रिकॉर्डिंग और सार्वजनिक करना – लोकपद का दुरुपयोग
यह कॉल गृह मंत्रालय की protocol wing द्वारा की गई एक आधिकारिक बधाई कॉल थी। सामान्य परिस्थितियों में ऐसे कॉल “Official/Confidential Communication” माने जाते हैं।
इसे रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर वायरल करना सिर्फ़ व्यक्तिगत प्रचार (personal political mileage) के लिए था। यह कृत्य निम्न कानूनों का उल्लंघन है:
- Official Secrets Act, 1923: सरकारी संवाद/संचार का बिना अनुमति प्रकाशन दंडनीय अपराध है।
- IT Act, 2000 की धारा 72: गोपनीय डेटा/रिकॉर्ड का अनधिकृत प्रकटीकरण अपराध है।
- Prevention of Corruption Act, 1988: लोकपद का उपयोग निजी राजनीतिक लाभ के लिए करना “misuse of official position” है।
- Service Conduct Rules एवं सांसद आचार संहिता: संवैधानिक पद पर रहते हुए आधिकारिक संवाद को व्यक्तिगत प्रचार हेतु उपयोग करना लोकपद का दुरुपयोग है।
न्यायिक दृष्टि से भी यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि यदि यह कॉल strictly private होता तो मामला अलग था। किंतु यह एक गृह मंत्री का आधिकारिक बधाई कॉल था—और उसका सार्वजनिक करना न केवल गोपनीयता भंग (breach of confidentiality) है बल्कि संवैधानिक पद की गरिमा का हनन भी है।
निष्कर्ष: एक दोहरा अपराध
इस पूरे प्रकरण में श्री राजीव राय दो प्रकार के अपराधों के लिए उत्तरदायी प्रतीत होते हैं—
- जन्मतिथि में हेरफेर → यह सीधे-सीधे धोखाधड़ी, मिथ्या विवरण और जालसाजी है, जो Representation of People Act और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दंडनीय है।
- गृहमंत्री के कॉल को सार्वजनिक करना → यह Official Secrets Act, IT Act और Prevention of Corruption Act के उल्लंघन के साथ-साथ लोकपद का दुरुपयोग (abuse of public office) है।
संवैधानिक दृष्टिकोण
संविधान का अनुच्छेद 102(1)(d) यह स्पष्ट करता है कि यदि कोई जनप्रतिनिधि भ्रष्ट आचरण या धोखाधड़ी का दोषी पाया जाता है तो वह अयोग्य है।
साथ ही, अनुच्छेद 324 निर्वाचन आयोग पर यह दायित्व डालता है कि वह चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता और निष्पक्षता को बनाए रखे।
इस प्रकरण में यदि समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं होती तो यह लोकतंत्र और संविधान के साथ सीधा विश्वासघात होगा।
मेरी राय
👉 श्री राजीव राय के खिलाफ तत्काल जांच और आपराधिक कार्यवाही होनी चाहिए।
👉 यदि जन्मतिथि में हेरफेर की पुष्टि होती है तो उन्हें सांसद पद से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।
👉 गृहमंत्री के कॉल की अनधिकृत रिकॉर्डिंग और सार्वजनिक करने की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए और इस पर कानूनी दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।
लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि का पहला कर्तव्य सत्य और पारदर्शिता है। यदि वही प्रतिनिधि स्वयं को बचाने या प्रचार के लिए कानून और संविधान से ऊपर समझे तो यह जनता के विश्वास और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सबसे बड़ा हमला है।
✍️ Advocate Amaresh Yadav
Supreme Court of India
Amaresh Yadav
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