🔴 गुलशन यादव की हत्या पर घोसी के सांसद राजीव राय की चुप्पी—सिर्फ संयोग है या साजिश से संवाद?

मऊ रेलवे स्टेशन के सामने दिनदहाड़े गुलशन यादव की निर्मम हत्या हो जाती है।
मऊ थर्रा उठता है,
परिवार शोक में डूबा है,
जनता आक्रोशित है,
सड़कें गूंज रही हैं —
लेकिन घोसी का ठगहरा सांसद, राजीव राय, चुप है।
❓ क्यों?
📌 क्या इसलिए चुप हैं क्योंकि मरे हुए का नाम ‘यादव’ है?
क्या इसलिए क्योंकि हत्यारों से कुछ रिश्ता-नाता है?
या इसलिए क्योंकि गुलशन जैसे नौजवान की हत्या राजनीति का ‘माल’ नहीं बन सकती?
यह चुप्पी कोई सामान्य बात नहीं।
ये मौन नहीं, मौन स्वीकृति है।
घटनास्थल मऊ है, संसद क्षेत्र घोसी है,
लेकिन सांसद ट्वीट तक नहीं कर रहे!
किस मुंह से ये जनप्रतिनिधि कहलाते हैं?
🔥 सवाल जनता पूछ रही है:
- गुलशन यादव की हत्या पर चुप्पी क्यों है?
- क्या हत्यारों से राजनैतिक संबंध हैं?
- क्या समाजवादी पार्टी में हत्या पर भी ‘जाति’ देखी जाती है?
- क्या ये हत्या किसी बड़े रैकेट का हिस्सा है?
- क्या राजीव राय इस मुद्दे से भाग रहे हैं क्योंकि सच सामने आने से उनकी ‘छवि’ उजड़ जाएगी?
💣 क्या राजीव राय को सिर्फ चापलूसी आती है,
जनता के दुःख में बोलने की हिम्मत नहीं?
चाहे संसद हो या सोशल मीडिया,
आपका हर ट्वीट PM से मिलते हुए,
विदेश में फोटो खिंचाते हुए,
या फिर ED के डर से सफाई देते हुए दिखता है।
लेकिन जब मऊ में खून बहता है, तब आपकी ज़ुबान सिल जाती है?
🧨 ठगहरा सांसद जी, जवाब दो!
अगर आप निर्दोष हैं,
तो बयान दो।
अगर अपराधियों से रिश्ता नहीं,
तो न्याय की मांग करो।
अगर दिल में वाकई जनता का दर्द है,
तो गुनहगारों को सज़ा दिलवाओ।
वरना जनता समझेगी —
आपके हाथ भी खून में रंगे हैं।
🚨 मौन भी कभी-कभी अपराध होता है।
और गुलशन यादव की हत्या पर आपकी चुप्पी,
आपको कठघरे में खड़ा करती है!**
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अमरेष यादव
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